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उझानी-मेरे राम सेवा आश्रम पर चल रही मांशपहरण श्री राम कथा महोत्सव में उमडे भक्त

मेरे राम सेवा आश्रम पर चल रही मांशपहरण श्री राम कथा महोत्सव में मेरे राम सेवा संस्थान के संस्थापक एवं प्रसिद्ध श्री राम कथा वाचक रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा राजा जनक से विश्वामित्र जी कहते हैं राजन वैसे तो विवाह हो गया लेकिन हम चाहते हैं की विधि विधान से विवाह हो आप अवधपुरी समाचार भेजिए इतना कहते ही जनक जी ने अपने दो दूत अवधपुरी को भेजें
जैसे ही दूत ने पत्रिका राजा दशरथ को दी और कहा यह राम जी का समाचार है राजा दशरथ तो भाव में डूब गए दूत को हृदय से लगा लिया बार-बार उस पत्र को चूमते हैं दूतों से पूछते हैं, क्या आपने मेरे पुत्रों को देखा है वह कुशल से तो है क्या तुमने अपनी आंखों से देखा है अगर देखा है तो उनके बारे में कुछ बताओ दूत कहते हैं जब से राम जी को देखा है कुछ और देखने की इच्छा ही नहीं रही राजा बहुत खुश हैं,दूत संदेश देते हैं सियाराम में सब जग जानी
जैसे ही समाचार अवध वासियों को प्राप्त हुआ हर घर में उत्सव शुरू हो गया सभी अपने घर दरवाजे गली मोहल्ले सजने संवरने लगे जनक जी ने बारात के लिए नदियों पर पुल जगह-जगह तालाब बावड़ी व्यवस्थाएं कर रास्ता सुगम बना दिया जानकी जी ने जब जाना की बारात नगर की ओर प्रस्थान कर चुकी है आने वाली है तब समस्त रिद्धि सीढ़ियां को बुलाकर कहा जिसकी जैसी आवश्यकता इच्छा हो उसे उसे प्रकार की व्यवस्थाएं दी जाएं राजा सहित सदानंद जी ने बारात का सम्मान किया स्वागत किया राजा दशरथ ने जब विश्वामित्र को देखा चरणों में माथा रखकर प्रणाम किया उन्होंने उठाकर हृदय से लगा लिया दोनों भाइयों ने पिताजी के चरणों में माथा रखकर प्रणाम किया ,दशरथ को ऐसा लगा जैसे मृतक शरीर में प्राण आ गए हो भरत शत्रुघ्न ने राम जी को प्रणाम किया सब अपने छोटे बड़े को यथायोग्य अभिवादन करते हैं अगहन मास कृष्ण पक्ष पंचमी दिन बुधवार गोधूलि की बेला ब्रह्म मुहूर्त में ब्रह्मा जी ने विचार कर नारद जी के द्वारा विवाह की मुहूर्त भेजी समस्त देवता देवी जानकी जी और राम जी की ओर से किसी न किसी रूप में उपस्थित है इधर राम को सजाया जाता है उधर जानकी जी की सखियां जानकी जी का श्रृंगार करती हैं जनक जी और दशरथ जी मिला भैट करते हैं सारी बारात का सम्मान होता है विनती कर करके सेवा करते हैं वशिष्ठ जी सतानन्द विश्वामित्र एक साथ बैठे,ब्रह्मा विष्णु शिव इंद्र सूर्य आदि समस्त देवों के साथ ब्राह्मण बेस में आए भगवान सबको पहचान कर प्रणाम करते हैं जनक जी ने सभी का देवताओं समान पूजन कर सुंदर आसान दिया, मेरे राम जी ऋषि मुनियों के अनुसार आनंदपूर्वक सारे कार्य विधि विधान से करते हैं,जिस प्रकार हिमाचल ने शिवजी को पार्वती, सागर ने भगवान विष्णु को लक्ष्मी इसी प्रकार भाव से जनक जी ने मेरे राम जी को जानकी, जनक जी के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी बेटी मांडवी भारत जी को सीता जी की छोटी बहन उर्मिला लखन जी को मांडवी की छोटी बहन श्रुति कीर्ति शत्रुघ्न जी को एक साथ जनक जी ने विवाह दी कुंवर कलेवा हुआ भगवान की बारात एक माह तक रुकी रोज जनक जी मना कर बारात को रोक देते हैं बहुत समझ कर जैसे तैसे जनक को विदा के लिए तैयार किया विश्वामित्र जी,वशिष्ठ जी ने सब माताएं पुरुष बेटियां आशीर्वाद देते हैं जानकी जी को अपने पति की प्रिया रहो तुम्हारा सुहाग अचल रहे सास ससुर और गुरु की सेवा करना बेटी पति के मन अनुसार आचरण करना सुनैना ने हृदय से लगाकर सजल नेत्रों से नारी धर्म की शिक्षा दी बूढ़ी माताएं सखियां कहती है ब्रह्मा ने स्त्री जाति को बनाई ही क्यों मनुष्य की कौन कहे गांव तोता मैना पशु पक्षी भी जानकी जी के लिए रो-रो कर विदा करते हैं और जनक जी ने जैसे ही जानकी को देखा बिलख-बिलख कर रूप पर धैर्य की भी धेर्यता चली गई हो ऐसी स्थिति खड़ी हो गई हृदय से जानकी को लगाकर बहुत रोए है|

राम जी को हाथ जोड़कर कहते हैं राघव तुम्हारी कैसे प्रशंसा करूं तुम तो महेश के मानस के हंस हो तुमने सब प्रकार से मुझे बड़ा बना दिया क्योंकि मुझे तुम्हारा अपनाना ही बहुत बड़ी बात है हाथ जोड़कर मैं तुमसे बार-बार यही मांगता हूं कि मुझे अपने चरणों में जिस प्रकार कमल के आसपास भंवरा रहता है इस प्रकार मुझे अपने चरणों में लगे रखना वहां से बारात चलती है सबसे ललित से विदा करते हैं सजल नेत्रों से विदा करते हैं इधर बारात अवधपुरी आई कौशल्या केके सुमित्रा आदि ने आरती उतार कर बहू सहित चारों भाइयों का प्रवेश हुआ महल में राजा ने सब एक साथ बिठाकर परिवार विश्वामित्र जी के साथ माता से कह दिया यह बहू नहीं यह हमारे घर की बिटिया हैं इन्हें नयन और पालक की तरह इनका ध्यान रखना

विश्वामित्र जी अपने आश्रम जाने की जिद करते हैं तब चारों भाई चारों बहुएं तीनों रानियां सहित राजा दशरथ उन्हें द्वारा तक छोड़कर प्रणाम करके कहते हैं सारी संपदा आपकी है मैं सेवक पत्नी और पुत्र सहित आपकी शरण में हूं आपके चरण में हूं कभी-कभी आते रहना बच्चों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखना मुझे भी आपके आने से दर्शन हो जाया करेंगे प्रणाम करके विदा करते इस मांगलिक प्रश्न को जो जाएंगे सुनेंगे वह भगवान राम और जानकी जी का कृपा प्राप्त करेंगे इस राम कथा के दिवस यजमान के रूप में अमर साहू ने पूजन किया और विकास और विकास स्पीच का पूजन कर आरती भक्तों ने प्रसाद बताकर प्रसाद पाया राम कथा में गिरीश पाल सिंह रामकुमार गंगवार तेजेंद्र राघव गजेंद्र पेंट कुलदीप ,सिसोदिया अंजू चौहान विष्णु गुप्ता शीतल राणा धीरेंद्र पाल सोलंकी अलंकार सोलंकी अंकित चौहानअजय कुमार मोनू साहू धर्मेंद्र सक्सेना अनुराधा सक्सेना कमलेश मिश्रा सरिता मिश्रा गुड्डी कामिनी तिवारी राखी साहू मोनिका रजनी मिश्रा वीरपाल सोलंकी धर्मपाल अरविंद, विनोद शर्मा,देवेंद्र शर्मा शशांक सौरव आदित्य गुप्ता आदि सैकड़ो भक्तों ने कथा सुनकर पुण्य लाभ अर्जित किया विद्वान आचार्य मनोज कुमार शर्मा ने विधि विधान से पूजन कराया,

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