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उझानी-आसान नहीं है पूनम अग्रवाल की राह

उझानी। निकाय चुनाव में चुनाव चिह्न आवंटन और नामांकन का दौर खत्म हो गया है। सभी प्रमुख सियासी दलों के प्रत्याशियों की स्थिति भी साफ हो चुकी है लेकिन भाजपा में टिकट बंटवारे के बाद उझानी में बवाल मचा हुआ है। चुनावी माहौल में भितरघातियों को पहचानने के बाद भी प्रत्याशी मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहीं हैं। ऐसे में पार्टी की प्रत्याशी पूनम अग्रवाल की राह आसान नहीं है।

पूनम अग्रवाल लगातार तीन बार से उझानी नगर पालिका अध्यक्ष की सीट पर काबिज हैं। बीते साल उन्होंने भाजपा के शंकर गुप्ता को 2411 वोट से हराया। शंकर गुप्ता को 10674 वोट मिले। यह मुकाबला काफी कड़ा माना गया था। इस बार भी भाजपा के स्थानीय नेता चुनाव की तैयारियों में जुटे थे, अचानक ही खबर दौड़ गयी कि पूनम अग्रवाल ने अपने पति पूर्व मंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल के साथ लखनऊ में भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के सामने उन्होंने संगठन की सदस्यता ग्रहण की।

पूनम अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद से स्थानीय भाजपा नेंताओं में नाराजगी पैदा हो गयी। असल में निकाय चुनाव में अब तक यह परम्परा रही है कि प्रत्याशियों के मामलों में पार्टियों का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता था। स्थानीय स्तर से नेता का चुनाव किया था जाता था लेकिन बीते वक्त में यह चलन बदल गया है। राजनेता दिल्ली और लखनऊ में चक्कर काटकर अपना टिकट ले आते हैं। इससे स्थानीय नेताओं की उम्मीदों में पानी फिर जाता है।

अब भाजपा प्रत्याशी पूनम अग्रवाल के पक्ष में भाजपा कार्यकर्ताओं की टीमों ने घर घर जाकर दस्तक देना शुरु कर दी है लेकिन अंदरखाने में खासा रोष भी है। चुनावी माहौल में भितरघातियों को पहचानने के बाद भी प्रत्याशी मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहीं हैं। हालांकि केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा नाराज कार्यकर्ताओं को एक मंंच पर लाने में जरुर सफल हुए हैं। लेकिन उनके मन की टीस को दूर नहीं कर पा रहे हैं। वहीं बसपा प्रत्याशी गीता मौर्य भी भाजपा में लगातार सेंधमारी कर रही हैं। जिससे भाजपा खेमा परेशान दिखाई दे रहा है। भाजपा का सीधा मुकाबला सपा समर्थित रजनीश गुप्ता से है। रजनीश गुप्ता यादव, मुस्लिम गठजोड़ के साथ स्वजातिए वोटरों को साधने में जुटे हुए हैं। अगर सपा समार्थित प्रत्याशी स्वजातिए वोटों को साधने में सफल रहे तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।

मुस्लिम समाज में भी है नाराजगी
बीते तीन चुनावों में पूनम अग्रवाल को नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुँचाने में मुस्लिम समाज की बड़ी भूमिका रही है। माना जाता है कि उन्हें मुस्लिम समाज का एकमुश्त वोट मिलता आया है। लेकिन इस साल उनका भाजपा में शामिल होना मुस्लिम समाज की समझ से बाहर है, कई लोग इसे धोखा मान रहे हैं।

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